होम / छत्तीसगढ / दुर्ग में मानसून की दस्तक से ही जलसंकट शुरू – अरुण वोरा पहुँचे जलघर, ठोस समाधान की माँग की, कहा - "शहर की प्यास पर अब नहीं चलेगी चुप्पी!"
छत्तीसगढ
दुर्ग शहर बीते एक माह से गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। लगातार बिजली कटौती, बार-बार मोटर की खराबी और 40 वर्ष पुराने 24 एमएलडी फिल्टर प्लांट की तकनीकी खामियों ने हजारों नागरिकों को रोज़ाना पेयजल के लिए जद्दोजहद करने को मजबूर कर दिया है।
आज वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं दुर्ग के पूर्व विधायक अरुण वोरा जब मोहन नगर क्षेत्र के दौरे पर पहुँचे, तो उन्हें उरला, मोहन नगर और पत्रीपार क्षेत्र के वार्डों से भारी संख्या में नागरिकों की शिकायतें प्राप्त हुईं। जनता की आवाज़ सुनते ही वोरा तत्काल जलघर पहुँचे और मौके पर उपस्थित अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की।
*उन्होंने स्पष्ट और सख़्त शब्दों में कहा कि जब नगर निगम 50,000 से अधिक घरों से ₹2,400 प्रति वर्ष जलकर वसूल रहा है, तो नागरिकों को नियमित और गुणवत्तापूर्ण जलापूर्ति क्यों नहीं मिल रही?*
अरुण वोरा ने कहा:
> "यह सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि साफ तौर पर व्यवस्था की लापरवाही है। 40 साल पुराना ढांचा, जिसने दशकों तक शहर की ज़रूरतों को पूरा किया, अब जवाब दे रहा है। जब पहले पानी की ज़रूरत पड़ी थी, तब पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान ₹1.60 करोड़ की लागत से शिवनाथ नदी पर इंटरवल पॉइंट बनवाकर चार नए पंप लगाए गए थे, ताकि शहर को निर्बाध जल आपूर्ति मिलती रहे।
आज फिर वैसी ही संजीदगी की ज़रूरत है। राज्य सरकार से विशेष फंड लेकर नई पाइपलाइन, आधुनिक पंपिंग सिस्टम और फिल्टर प्लांट की स्थापना अब अनिवार्य है। इस विषय में मैंने महापौर से भी आग्रह किया है और शीघ्र ही जल प्रभारी से भी चर्चा करूँगा।"
उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि यदि जल्द कोई ठोस और दीर्घकालिक समाधान नहीं निकाला गया, तो यह जनाक्रोश आंदोलन का रूप ले सकता है।
शहर के अनेक वार्डों में टैंकर समय पर नहीं पहुँच रहे हैं, और कुछ इलाकों में तो लगातार कई दिनों से एक बूंद पानी तक नहीं पहुँचा। स्थानीय नागरिकों ने इस गहराते संकट को लेकर अरुण वोरा से हस्तक्षेप की माँग की थी, जिसके जवाब में उन्होंने आज स्वयं स्थल पर पहुँचकर हालात का निरीक्षण किया।
उनके साथ नेता प्रतिपक्ष संजय कोहले भी मौजूद थे।
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