होम / छत्तीसगढ / 7 दिन से बंद झाड़ू, गूंज रहा है इंसाफ का नारा* : *निगम में* *धरने पर बैठे कर्मियों के समर्थन में उतरे अरुण वोरा,कहा - "अब समाधान का वक्त"
छत्तीसगढ
दुर्ग, 14 मई 2025
नगर पालिक निगम, दुर्ग के सफाई कर्मियों की हड़ताल ने शहर की सफाई व्यवस्था को पूरी तरह ठप कर दिया है। बीते सात दिनों से प्लेसमेंट और मिशन क्लीन सिटी वर्कर अपनी ज्वलंत मांगों को लेकर निगम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे हैं। अब पूरे दुर्ग शहर में चरमराई हुई सफाई व्यवस्था से जनता परेशान है, लेकिन निगम प्रशासन अब तक मौन है।
लेकिन आज, इस आंदोलन को वो मजबूती मिली जो अक्सर बड़े बदलाव की शुरुआत होती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक अरुण वोरा ने स्वयं धरना स्थल पहुँचकर कर्मचारियों का हौसला बढ़ाया.
धरना स्थल से निगम प्रशासन और जिला प्रशासन को कड़ा संदेश देते हुए वोरा ने कहा,
"सफाई कर्मी शहर व्यवस्था को व्यवस्थित करने की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उनकी मांगों को किसी भी कीमत पर अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। निगम प्रशासन और जिला प्रशासन को कर्मचारियों की मांगों पर गंभीरता दिखानी चाहिए।"
अरुण वोरा ने निगम की महापौर व आयुक्त से इस विषय में सीधी बातचीत की और शीघ्र समाधान की मांग रखी। साथ ही धरना स्थल से ही मंत्री श्री अरुण साव और विजय शर्मा के साथ मुख्यमंत्री से संपर्क कर शहर की स्थिति सुधारने की अपील की। वोरा ने कलेक्टर अभिजीत सिंह से फोन पर बातचीत की।
कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि "आयुक्त एवं अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की जा रही है, समाधान जल्द निकलेगा।"
वोरा ने दो टूक कहा,
"मैं यहां राजनीति करने नहीं, बल्कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए एक परिवार के सदस्य की भांति मौजूद हूं।"
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि,
"कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।"
*क्या हैं सफाई कर्मियों की प्रमुख माँगें?*
• टीआईसी कार्ड (अस्थाई पहचान पत्र) अब तक जारी नहीं किया गया।
• भविष्य निधि फंड की राशि अभी तक पीएफ ऑफिस में जमा नहीं की गई।
• न्यूनतम वेतन नियमों का उल्लंघन हो रहा है।
• गर्मी के मौसम में दोपहर 12 बजे छुट्टी की परंपरा खत्म कर दी गई।
• अनुपस्थिति पर एक नहीं, दो दिन का वेतन काटा जा रहा है।
• बीमार कर्मी की जगह परिवार के सदस्य को काम पर रखने की मांग भी उठी।
वोरा ने चेतावनी दी कि यदि निगम और जिला प्रशासन ने अब भी त्वरित व ठोस कदम नहीं उठाए, तो शहर को और अधिक अव्यवस्था और जनआक्रोश का सामना करना पड़ेगा।
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